रविवार, 18 अक्तूबर 2009

सबकी पारी ख़त्म...अब मैं कमाउंगा


.....चलो दिवाली बीती। कम से कम अब तो मेरी कमाई के दिन लौटे। आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कौन जो अपनी कमाई के लिए दिवाली के बीतने का इंतज़ार कर रहा है? एक खबर पढ़ी उसमें दिवाली की मौज-मस्ती पर करोड़ों को धुंआं बनाने की बात कही गई। खबर कहती थी कि नवरात्र से लेकर दिवाली तक अकेले दिल्ली ने 6,000 करोड़ रुपयों को धुंए में उड़ा दिया। कपड़े-खिलौने-बर्तन-ड्यूरेबल आइटम, इलेक्टॉनिक गैजेट्स और न जाने क्या-क्या। जैसे इन सब पर खर्च करने के लिए दिल्ली कब से इंतज़ार कर रही थी। पूरा शहर भूल गया कि मंदी के टाइम से अभी-अभी पीछा छूटना शुरू ही हुआ है।


सबने जमकर कमाई की। खूब बिके कपड़े-साजो सामान और मिठाईयां.....लेकिन सन्नाटा पसरा रहा डॉक्टर के दरवाज़े। हो भी क्यों ना? खुशी के माहौल में भला डॉक्टर की याद आती है क्या? लेकिन, बाबू दिवाली का आना कमाई के मौक़े लेकर आया था तो अंत में डॉक्टर क्यों न कमाए? सालभर से सब सुन रहे थे कि मंदी के चलते ये हो गया, वो हो गया.....दिवाली आते ही पर्चेज़िंग पावर अपने आप ही आ गई। परंपरा की बात है भई। कैसे चलेगा...दिवाली मनानी ज़रूरी है और उसी तरह से मनाएंगे जैसे हर साल मनाते थे...अब कमाई नहीं होगी तो क्या होगा....किसी का खर्च कह लो और किसी की कमाई। लेकिन डॉक्टर तो खर्च से भी रहा और कमाई से भी।

अब सुनिए डॉक्टर की कहानी(डॉक्टर-कंपाउंडर का संवाद)....
कंपाउंडर से बोला डॉक्टर...
धंधा मंदा चल रहा है भई,
कोई पेशेंट ही नहीं।

डॉक्टर से बोला कंपाउंडर...
सर सब दिवाली की तैयारी में खुश हैं,
आपकी याद किसी को क्या आएगी?

डॉक्टर कंपाउंडर से...
लोग बीमार नहीं पड़ रहे क्या,
कैसे चलेगी रोज़ी-रोटी?

कंपाउंडर बोला डॉक्टर से...
सर, बस थोड़ा इंतज़ार कीजिए
दिवाली बाद लाइन लग जाएगी

कंपाउंडर से बोला डॉक्टर...
कमाल करते हो...कैसे?
अचानक महामारी के संकेत हैं क्या?

कंपाउंडर बोला डॉक्टर से...
अरे सर आप भी क्या बात करते हैं?
अखबार-टेलिविज़न नहीं देखते क्या?
सुर्खियों में रोज़ाना यही दिखाई देता है...
दिवाली पर आप खाएंगे मिठाईनुमा ज़हर
चॉकलेट भी न खाएं...इसमें भी मिलावट

तो उससे क्या होगा...कमाई?
कैसी बातें करते हैं डॉक्टर साहब?
पेट की अंतड़ियां जब सिकुड़ेंगी
तो किसके पास आएंगे लोग...आपके पास ना!
पटाखों के शोर से जब फटेंगे कान के पर्दे
तब किसके पास आएंगे...आपके पास ना!
पटोखों की आग में झुलसेगा कोई
तो किसके पास आएगा, आपके पास ना!

पैसे खर्चने के बाद जब बढ़ेगा बीपी
तो किसके पास आएंगे...आपके पास ना!
क्यों चिंता करते हैं डॉक्टर साहब?
लोगों ने तो एक ही दिन की खातिर खर्च किए करोड़ों...
आप एक रोग के लिए दौड़ाइएगा बरसों
फिर कैसे रुकेगी कमाई?
दिवाली का इससे बेहतर तोहफा आपको क्या चाहिए?
दिवाली के बाद कमाई ही कमाई।

डॉक्टर उछला और बोला....दिवाली बीती
लौट आए रे भइया मेरे 'कमाई के दिन'!!!!!

7 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है नया अन्दाज है ये तो अपनी बात कहने का.

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  2. " bahut hi badhiya post ke liye aapko badhai "

    ----- eksacchai { AAWAZ }

    http://eksacchai.blogspot.com

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  3. आज स‌ुबह मैं यही स‌ोच रहा था कि एक तरफ तो लोग रोना रो रहे हैं कि तनख्वाह नहीं बढ़ रही है, मंदी मार रही है। मैं इस पर कुछ लिखने की भी स‌ोच रहा था। लेकिन आपने पहल करके मेरे मन की बात कह दी। स‌चमुच एक अच्छी पोस्ट है। इसके लिए आप बधाई की हकदार हैं।

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  4. Hi Suji! You are a genius. You have sent across a message in an extremely light manner, which is equally effective too. Keep it up and keep blogging more and more. Look forward to hearing more from you. Bye! -Nirmal

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